अँधों में काना राजा, बजाते रहो जी बाजा ?
अरे भाई, जाना था हमें त्तिम्ब्क्तू, पहुँच गए हम कलकत्ता !!
स्वच्छ भारत के जोश खरोश में पांच साल से खोपड़ी खुजाने के बाद जैसे तैसे बनाये कानून, और अब हम बाजू में बैठ के बाजा बाजा रहें हैं. इन्तेजार कर रहें हैं कि कोई इनको पढ़े !
समझने की आवश्कता नहीँ है, दिमाग लगेगा, लिखे हुए नक़्शे कदम पर ही चले, तो गाडी सही दिशा में चल पड़ेगी. वेस्ट के अन्दर प्लास्टिक्स वेस्ट जैसी अशुद्धियो की तरह ही, सिस्टम में भी घुसी हुई अशुधियां दूर करो बंधू.
कितने मंत्रालयों की क्या जिम्मेदारियां हैं, हम दिमाग लगा चुके हैं, लिख दिया है, और हर आदमी, औरत, बच्चे, बूढ़े, रहीस, गरीब, गाँव, शहर, बाबु, चपरासी, मंत्री, संत्री सबकी जिम्मेदारियां प्यार से लिख दी हैं. विस्तार से बता दी है.
अब ये बताओ कि कौन से अर्बन डेवलपमेंट सेक्रटरी ने कितने कबाड़ी और राग्पिच्केर्स का पंजीकरन कर लिया है, वासुकी जी के आलावा,……… और पंजीकरण करने के बाद करोगे क्या?
और बताओ की कितने ड्राई वेस्ट ट्रांसपोर्टेशन की गाड़िया चला दी? ………………और ड्राई वेस्ट ले कर कहाँ जाओगे?
अरे भाई हमें मंत्रालय नहीं चाहिए, मन्त्रणा कहिये, कन्फेयुजन नहीं, कंट्रोल चाहिए, हड बड़ी में गड़बड़ी नहीं, कम्पोस्ट, DTDC वार्डस, और बिजली नहीं, रीसाइक्लिंग के पैरामीटर्स चाहिए.
या तो पढो, या फिर मेरी सुनो, यारो.